पुत्र प्रेम (SOLVED QUESTION ANSWER)
लेखक परिचय - हिंदी के क्त५हा तथा उपन्यास के सम्राट प्रेमचंद का जन्म उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट लमही गॉव में ३१ जुलाई १८८० में हुआ था प्रेमचंद पहले उर्दू में कहानियां लिखा करते थे प्रेमचंद की कहानियां मानसरोवर के आठ भागो में प्रकाशित है । निर्मला , गबन ,गोदान , रंगभूमि ,कर्मभूमि इनके प्रसिद्ध उपन्यास है ।
पुत्र प्रेम - कहानी का सारांश तथा उस से सम्बंधित प्रश्न उत्तर ,पात्रों के चरित्र चित्रण का विस्तृत रूप से वर्णन करेंगे । यह कहानी क्लास ११ तथा १२ के ISC पाठ्यक्रम में आती है
इस के आलवा अगर आपको कुछ भी जिज्ञासा हो तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते है .
प्रश्न - "व्यक्ति लोभ में किस प्रकार हृदयहीन हो जाता है ।" पुत्र प्रेम कहानी इसका जिवंत उदाहरण है ।स्पष्ट कीजिये ?
उत्तर - स्वार्थ और लोभ कभी कभी नैतिक मूल्यों पर इतने हावी हो जातें है की इनके वश में आकर मनुष्य हृदयहीन और निष्ठुर बन जाता है ।
प्रस्तुत कहानी में चैतन्य दास का स्वार्थ उनके नैतिक मूल्यों पर इस प्रकार हावी हो जाता है की वे कब हृदयहीन और निष्ठुर बन जाते है । पहले तो वे अपने पुत्र प्रभुदास से बहुत स्नेह करते है क्योंकि उन्हें उससे बड़ी आशाएं थी लेकिन जैसे ही उनके मन में इस शंका का जनम होता है की जब इस रोग का परिणाम विदित है तो फिर इस पर धन अपव्यय करके क्या फायदा ? उनके मन में यह स्वार्थ जाग उठता है वे धन और अनिश्चित परिणाम में से धन का चुनाव करते है चैतन्य दास का कथन है की एक संदिग्ध फल के लिए तीन हज़ार रूपए का खर्च उठाना बुद्धिमतता नहीं है ।
किन्तु जब वे मणिकर्णिका घाट पर बैठे अपने बेटे की जलती हुई चिता देख रहे थे तो उनके मन में पुत्र प्रेम जाग जाता है की उन्होंने प्रभुदास को इटली भेज दिया होता तो शायद वो स्वस्थ हो जाता यह सोचकर उनका मन ग्लानि से भर जाता है । इस कहानी में युवक एक आदर्श को प्रस्तुत करता है इस युवक के माध्यम से लेखक ने आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद का सन्देश दिया है ।
इस प्रकार पुत्र प्रेम कहानी लोभ , व्यक्ति की हृदयहीनता , निष्ठुरता और यथार्थवाद का समिश्रण है ।
उत्तर - "आउट साइडर" तात्पर्य है घर से बाहर का व्यक्ति , और यहां पर आउट साइडर नीलम को कहा गया है जो की सभी भाई बहनों में सबसे बड़ी है तथा अपने पिताजी के मरणोउपराँत २५ सालों से पुरे घर को संचालित कर रही है । वह एक स्कूल अध्यापिका है तथा अपने वेतन से ही पुरे घर का खर्च चलाती है आज जब वह अपने सबसे छोटे भाई की शादी कर अपने आप को ज़िमेदारी मुक्त समझ रही है तभी सब घर वाले उसके विवाह करने पर जोर डालते है किन्तु वह यह कहकर प्रस्ताव अस्वीकार करती है की यह उम्र अब विवाह के बारें में सोचने की नहीं है वह अब चिंता मुक्त होकर निश्चिंतता से रहना चाहती है किन्तु असलियत में उसके सभी भाई बहन जितने भी विवाह सम्बन्ध लातें है वे या तो विधुर है या फिर जवान बच्चों के पिता कोई भी नीलम से उसकी पसंद न पसंद के बारें में नहीं जानना चाहता घर वाले केवल जैसे तैसे उसकी शादी कर के अपने आप को उसके बोझ से मुक्त करना चाहते है इसलिए नीलम के बार इंकार करते ही किसी ने उसके विवाह के बारें में नहीं पूछा । यहाँ तक की जब उसके प्रमोशन के साथ बस्तर जैसे दूर जिले में ट्रांसफर आर्डर आया तो किसी ने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं की बल्कि बड़ी ही ख़ुशी से उसके प्रमोशन तथा ट्रांसफर का स्वागत किया इन सब बातों से नीलम को लगा जैसे वह घर की कोई फालतू चीज़ है यानी की आउट साइडर है जिसके रहने न रहने से कोई फरक नहीं पड़ता ।
पुत्र प्रेम - कहानी का सारांश तथा उस से सम्बंधित प्रश्न उत्तर ,पात्रों के चरित्र चित्रण का विस्तृत रूप से वर्णन करेंगे । यह कहानी क्लास ११ तथा १२ के ISC पाठ्यक्रम में आती है
इस के आलवा अगर आपको कुछ भी जिज्ञासा हो तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते है .
प्रश्न - "व्यक्ति लोभ में किस प्रकार हृदयहीन हो जाता है ।" पुत्र प्रेम कहानी इसका जिवंत उदाहरण है ।स्पष्ट कीजिये ?
उत्तर - स्वार्थ और लोभ कभी कभी नैतिक मूल्यों पर इतने हावी हो जातें है की इनके वश में आकर मनुष्य हृदयहीन और निष्ठुर बन जाता है ।
प्रस्तुत कहानी में चैतन्य दास का स्वार्थ उनके नैतिक मूल्यों पर इस प्रकार हावी हो जाता है की वे कब हृदयहीन और निष्ठुर बन जाते है । पहले तो वे अपने पुत्र प्रभुदास से बहुत स्नेह करते है क्योंकि उन्हें उससे बड़ी आशाएं थी लेकिन जैसे ही उनके मन में इस शंका का जनम होता है की जब इस रोग का परिणाम विदित है तो फिर इस पर धन अपव्यय करके क्या फायदा ? उनके मन में यह स्वार्थ जाग उठता है वे धन और अनिश्चित परिणाम में से धन का चुनाव करते है चैतन्य दास का कथन है की एक संदिग्ध फल के लिए तीन हज़ार रूपए का खर्च उठाना बुद्धिमतता नहीं है ।
किन्तु जब वे मणिकर्णिका घाट पर बैठे अपने बेटे की जलती हुई चिता देख रहे थे तो उनके मन में पुत्र प्रेम जाग जाता है की उन्होंने प्रभुदास को इटली भेज दिया होता तो शायद वो स्वस्थ हो जाता यह सोचकर उनका मन ग्लानि से भर जाता है । इस कहानी में युवक एक आदर्श को प्रस्तुत करता है इस युवक के माध्यम से लेखक ने आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद का सन्देश दिया है ।
इस प्रकार पुत्र प्रेम कहानी लोभ , व्यक्ति की हृदयहीनता , निष्ठुरता और यथार्थवाद का समिश्रण है ।
प्रश्न - इस कहानी में माँ की भूमिका किस प्रकार की है ? तपेश्वरी ने अपने पुत्र के इलाज के लिए क्या प्रयास किया?
उत्तर - प्रस्तुत कहानी पुत्र प्रेम में जब चैतन्य दास तथा प्रभुदास का छोटा भाई शिव दास दोनों ही संदिग्ध परिणाम को मुख्य आधार बनाकर यह निर्णय लेते है की प्रभुदास को इटली भेजना निरर्थक है तब प्रभुदास की माँ तपेश्वरी देवी ही अकेली उन दोनों का विरोध करती है । वह दोनों को ही धिक्कारती है जिसके फलस्वरूप शिवदास लज्जित हो अपनी माँ के समर्थन में आ जाता है । किन्तु अपने पति को समझाने के लिए तपेश्वरी देवी तर्कों का साथ लेती हुई कहती है की यह धन तो नश्वर है और मनुष्य इससे कंही अधिक महत्वपूर्ण है धान तो फिर से कमाया जा सकता है किन्तु जीवन नहीं इस कथन के समर्थन में तपेश्वरी देवी अनेक लोकोक्तियाँ भी कहती है किन्तु अपने प्रयास को विफल होते देख तब वह अपने अंतिम शस्त्र जल बिंदुओं का सहारा लेती है जिससे चैतन्य दास भी बस नहीं पाते और कहते की रुपयों का प्रबंध होते ही वे प्रभुदास को इटली भेज देंगे जिसके प्रत्युत्तर में तपेश्वरी देवी कहती है बैंक में रुपये है ,ज़मीन है जिस पर प्रभुदास का भी हक है किन्तु यंहा भी चैतन्य दास कहते है की भावुकता के फेर में पड़कर वे धन का नाश नहीं करेंगे इस प्रकार अपने माँ होने का फ़र्ज़ निभाते हुए तपेश्वरी देवी अंत तक प्रभुदास का साथ देती है ।
आउट साइडर
प्रश्न - प्रस्तुत कहानी में आउट साइडर किसको कहा गया है और क्यों ?
प्रश्न - नीलम को अपनी माँ के बारें में क्या शिकायत रही ? क्या माँ को उसके बारें में सोचना नहीं चाहिए था ?
उत्तर - नीलम को अपने भाई बहनों से अपार प्रेम था वह अपने भाई बहनों से कोई शिकायत नहीं करती बल्कि उसे अपनी माँ से शिकायत थी क्योंकि उन्होंने कभी भी नीलम तथा उसकी शादी के बारें में नहीं सोचा । पिता की असमय मृत्यु के बाद पुरे घर का उत्तर दायित्व नीलम के कन्धों पर आ गया जिसे उसने पूरा भी किया किन्तु उसकी अपनी माँ ने पूरी जिम्मेदारी नीलम के कन्धों पर डालकर बाकी बच्चों की परवरिश करती रही यहाँ तक की बड़े बेटे की नौकरी लग जाने के बाद उन्हें उसकी बहु लाने की जल्दी लग गयी पैर इस बीच नीलम की भी शादी की उम्र निकल रही है इस बात का उन्हें ख्याल भी नहीं आया । इसलिए नीलम को अपनी माँ से शिकायत रही।
Thank you so much ma'am
ReplyDeleteYou've helped a lot! More than my actual teacher 😅
state that the peom putra prem written by pemchand has changed the heart of people
ReplyDeleteMam you teaches the best
ReplyDeleteThanku so much❣
ReplyDeleteOh my this is the exact question for my project
ReplyDeleteThis is good but needs to improve
ReplyDeleteExcellent maam
ReplyDeleteSo understanding
ReplyDeleteThnks
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