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Saturday 20 March 2021

 शिवानी जी का वास्तविक नाम 'गौरा पंत' था ... किन्तु ये 'शिवानी' नाम से लेखन करती थीं.... इनकी शिक्षा शन्तिनिकेतन में हुई...साठ और सत्तर के दशक में, इनकी लिखी कहानियां और उपन्यास हिन्दी पाठकों के बीच अत्याधिक लोकप्रिय हुए शिवानी का निधन 2003 ई० मे हुआ...

जन्म 17अक्टूबर 1923 राजकोट गुजरात उपन्यास अतिथि, पूतों वाली, चल खुसरों घर आपने, श्मशान चंपा, मायापुरी, विषकन्या......... कहानी संग्रह शिवानी की श्रेष्ठ कहानियाँ, शिवानी की मशहूर कहानियाँ, झरोखा......
🎎🎎🎎🎎💐चल खुसरो घर आपने💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 📺📺📺📺📺अंतिम अध्याय📺📺📺📺📺 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 छ: महीने पहले वह इसी स्टेशन पर क्लान्त शरीर और अवसन्न चित्त लेकर, अकेली उतरी थी और आज वैसा ही क्लान्त शरीर और अवसन्न चित्त लेकर अकेली ही लौट रही थी....पंडितजी ने गरुड़ पुराण में सुनाया था कि उस लोक में सुख ही सुख हैं... कौनसा ऐसा दुख कौनसा अभाव था उन्हें... यह कहानी है कुमुद की, जिसे बिगड़ैल भाई-बहनों ने और आर्थिक पारिवारिक परिस्थितियों ने सुदूर बंगाल जाकर एक राजासाहब की मानसिक रूप से बीमार पत्नी की परिचर्या का दुरूह भार थमा दिया है...मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों का मनोसंसार..निम्नमध्यवर्गीय परिवार की कमाऊ अनब्याही बेटी और उसकी ग्लानि से दबी जाती माँ का मनोविज्ञान शिवानी जी के पारस स्पर्श से समृद्ध होकर इस उपन्यास को एक अद्भुत नाटकीय रूप दिया....

https://www.youtube.com/playlist?list=PLUoIVgnBiV-N6IQxpNBB9pnku3ijkJApr
HINDI STORIES TELLING BY SUNITA
🎎🎎🎎🎎💐चिरस्वयंवरा💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सफेद बालों के ऊँचे जूड़े पर प्रयत्न से टिकाया गया अबीरी बनारसी आँचल...गठिया से टेढ़ी पड़ गई अँगुलियों पर जवा आलता की नाखूनी धारी..लाल नागरा और सन से सफेद बालों के बीच माँग पर बिखरी..निद्रामग्ना चिर स्वयंवरा की सोहाग पिटारी
https://youtu.be/-nE_ufuVgEM

🎎🎎🎎🎎💐💑विवर्त्त👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 Episode 1 📺🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 कभी-कभी जब वाणी व्यर्थ होकर समस्त आयुध डाल देती है तो स्पर्श भी बहुत-कुछ कह जाता है..
https://youtu.be/GN_cBj_02fU part 1

https://youtu.be/A8L9RbRLyJU part 2

🎎🎎🎎🎎💐गान्धारी💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 📺🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 दोनों प्रौढ़ा सखियों की आयु के दस दस वर्ष..स्वयं उनकी काल्पनिक गणना ने घटकर..पुराना योगफल मिटा दिया....अन्धे विवश पति का हाथ थामने के लिए उस त्यागमयी गांधारी ने स्वेच्छा से ही अपनी आँखों पर पट्‌टी बाँधी थी..दोनों सखियाँ सोच रही थीं..वे दोनों कितनी तुच्छ थीं..कितनी तुच्छ...
https://youtu.be/fP_EXBsbcqE
🎎🎎🎎🎎💐शिबी 💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 बहुत सोच कर नाम रखा शिवप्रिया ..शायद नित्य शिव का पावन नामोच्चारण माँ के कलुष को धो पोंछकर बहा देगा ..किन्तु पुकारने का अवसर ही नहीं आया ..
https://youtu.be/Ak4k_KrQdUY

🎎🎎🎎🎎💐दो बहनें💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 छब्बीस वर्ष तक, एक-दूसरे से, रक्त-मज्जा-मांस की डोर से बँधी, संयमी जुड़वाँ-सी बहनों को पल-भर में केशव ने किसी कुशल सर्जन की-सी शल्य-क्रिया से सदा के लिए विलग कर दिया।
https://youtu.be/Tfau1ZKqxaQ

🎎🎎🎎🎎💐उपप्रेती💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 विधाता का भी यह कैसा न्याय था कि विधवा सधवा बनी सौभाग्य का भरपूर सुख भोग रही थी..और सधवा वैधव्य का दारुण दुख झेल रही थी..एक थी मुखर..दूसरी मौन.. कहते हैं ...पहाड़ में किसी गर्भवती गृहिणी के प्राण प्रसव पीड़ा ने तब ही ले लिये जब शिशु भूमिगत नहीं हुआ था... जब उसे घाट ले जाया गया तो चिता में धरने से पूर्व शास्त्रानुसार गर्भ की संतान को जननी वे विलग किया गया... जिस पुत्र संतान ने जननी के प्राण लिये थे....स्वयं उसमें प्राण थे...उसी पुत्र का नाम धरा गया उप्रेती अर्थात् ...उप प्रेती...
https://youtu.be/erNVVdWqRf8

🎎🎎🎎🎎💐स्वप्न और सत्य 💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 कुत्ते के पिल्ले को पालना कितना सहज है..मनुष्य के दुधमुँहे को पालना कितना कठिन..श्वानशिशु का कुल गोत्र समाज नहीं माँगता...उसके जनक का परिचय उसके जीवन के लिए अनिवार्य नहीं होता...किन्तु मानव शिशु के जनक का अभिमान उसके प्रत्येक श्वास के लिए अनिवार्य हो उठता है..
https://youtu.be/71kn_w8ggu0
🎎🎎🎎🎎💐मँझले दद्‌दा 💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦
🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बड़े दद्‌दा ने जीवन भर सबकी अवहेलना सही.. इसी से शायद वह भी बिना किसी से कुछ माँगे..अपने सरल, स्निग्ध, स्नेह की धारा से सबको परिप्लावित कर एक दिन आँखें मूँदकर चले गए ..मँझले दद्‌दा की आँखें खुली थीं साँस चल रही थी..किन्तु वह भी उनके बीच से चले गए थे..सदा-सदा के लिए.
https://youtu.be/vuyV6N0JS1o मँझले दद्‌दा

🎎🎎🎎🎎💐फिरबे की ..? फिरबे.. ?💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦
🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 जब से यह मनहूस अँगूठी पहनी है..ठुलदा गाज़िल दा और आज अम्मा चली गईं..सरुली का वैधव्य भी इसी अँगूठी की देन है..चारु की ही भाँति उसका अशान्त अधीर चित्त भी प्रश्न पूछ रहा था.. फिरबे की? फिरबे?.. चारु की ही भाँति, उसका अशान्त अधीर चित्त भी वही प्रश्न पूछ रहा था ...फिरबे की? फिरबे?
https://youtu.be/HZ65Knaj9X8 फिरबे की? फिरबे?

🎎🎎🎎🎎💐ठाकुर का बेटा 💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 बेटा तो विलक्षण होगा ...पर महल का सुख भोग नहीं पायेगा ...रहेगा वनबिहारी ही ..आज तककभी ऐसा नहीं हुआ ...
https://youtu.be/hoQeZPrYRUE ठाकुर का बेटा

🎎🎎🎎🎎💐गहरी नींद 💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 विचित्र शिल्पी विधाता भी कैसी कैसी अनोखी मूर्तियां गढ़ देता है ...एक को नींद के लिए शीशी भर गोलियां खानी पड़ती
https://youtu.be/EGYZDCIRacQ

🎎🎎🎎🎎💐💐 दंड💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नाती का नाम धरा था मृत्युंजय...पर मृत्यु को नहीं जीत सका बेचारा .मृत्यु ने ही उसे जीत लियावह तो स्वयं ही मृत्युंजय का जीवित संस्करण था..क्या वही पिता को चमत्कृत करने एक बार फिर अरथी में बँधने लौट आया था..

🎎🎎🎎🎎💐चन्नी💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 संसार ऐसी भावुक कमजोर दलील पर विश्वास नहीं करता..फिर उस खुशबू ही को भला कब तक सहेज पाऊँगी...हिना और खस की खुशबू अब चन्नी के रहस्यमय अस्तित्व की भाँति धीरे-धीरे उड़ती जा रही है... जिस दिन वह बिल्कुल ही उड़ जाएगी..उस दिन शायद मैं भी मान लूँगी कि चन्नी सचमुच ही मर गई..

🎎🎎🎎🎎💐💐 मेरा भाई 💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 राखी तो उसे नहीं बाँध पाई पर इतना तो कर ही सकती हूँ... जिसे अब मैं नहीं ढूँढ़ पाऊँगी.... मेरे उस राखीबन्द भाई को शायद दयालु वैंकटेश्वर स्वयं एक दिन मुश्कें बाँध अपने दरबार में बुला भेजें और वह अभागा उनके चरणों में गिरकर कह सके.....

🎎🎎🎎🎎💐💐तीन कन्या 💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 चार मीनारों में जो ..मीनार भूकम्प के धक्के से टूटकर बिखर गई थी, वह फिर कभी नहीं बनाई गई...मामी ने कहा था। सोचती हूँ...आज भाग्य का भूकम्प..जो फिर वही क्रम दुहरा रहा है, उसका अन्त भी क्या वैसा ही रहेगा....

🎎🎎🎎🎎💐💐मन का प्रहरी 👨‍👩‍👧‍👦💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आज तक मुझे अपनी अन्तःप्रेरणा पर बड़ा गर्व था...पर आज सचमुच ही मेरा दर्प अचानक हाथ से गिर गए दर्पण की भाँति...यथार्थ की धरा पर गिर, चूर-चूर होकर बिखर गया है.....किन्तु मुझे यह प्रहरी लाख बहकाए, संसार के बड़े- से-बड़े वैरागी के वैराग्य को भी पहचानना अब मैंने सीख लिया है....
🎎🎎🎎🎎💐💐गूंगा👨‍👩‍👧‍👦💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 मेरी रेल क्यों छीन ली.. इतने मेहमान आते हैं, पर वह क्यों नहीें आती जिसने मुझे चूम-चूमकर खिलौने दिये थे..आज मेरी पीठ पर काशीबाई ने बेंत क्यों मारे..वही सुन्दर-सी औरत उसे गोद में उछाल-उछालकर ...


🎎🎎🎎🎎💐💐नथ👨‍👩‍👧‍👦💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 पति पत्नी के रिश्तों के विश्वास की कहानी क्या पता यह संस्कारग्रस्त देहाती चित की कल्पना मात्र हो ... पुट्टी के सात्विक दान की रसीद अपने सुनहले अक्षरों में स्वयं लिख गयी....जल्दी से हाथ की खाकी पोटली को कमिश्नर की थैली में डालकर वह भीड़ में खो गयी। न उसे अपनी उदारता की घोषणा करने का अवकाश था, न कोई कामना..... 🏕🏕🏕🏕🏕💐💐💐💐💐⚘⚘⚘⚘⚘⚘
🎎🎎🎎🎎💐💐सौत💑💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏 पति पत्नी के रिश्तों के विश्वास की कहानी क्या पता यह संस्कारग्रस्त देहाती चित की कल्पना मात्र हो ... आधुनिक पतिव्रता की मान्यताएं अब हमारी मान्यतायों से भिन्न हो ..वह पति को ऐसी स्वतंत्रता स्वेच्छा से ही देती हो ....
ISC HINDI FOR CLASS 11 & 12*SATI* सती 6 फुट साढ़े 10 इंच लम्बी महिला और सती होने जा रही शिवानी
🎎🎎🎎🎎💐निर्वाण💑👨‍👩‍👧‍👦👨‍👩‍👧‍👦 🙏🙏🙏🙏🙏शिवानी🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ईश्वर में मेरा दृढ़ विश्वास है..किन्तु किसी साधु सा पहुँचे सिद्ध का अन्धानुगमन.. मेरी प्रकृति के विरुद्ध....., किसी लब्धप्रतिष्ठ स्वामी का सान्निध्य...मेरे या अन्य किसी के जीवन में, मांगलिक परिवर्तन संघटित कर सकता है..




Sunday 14 March 2021

 जैनेन्द्र कुमार

 जैनेन्द्र कुमार का नाम  हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक के रूप में मान्य हैं.. इनकी मुख्य देन उपन्यास तथा कहानी है..एक साहित्य विचारक के रूप में भी इनका स्थान मान्य है ..उनके पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ इसी कारण से संयुक्त होकर उभरती हैं.क्योंकि पात्रों के सूक्ष्म संकेतोंऔर चरित्र की निहिति की खोज करके उन्हें बड़े कौशल से प्रस्तुत करते हैं..जैनेन्द्र का सबसे बड़ा योगदान हिन्दी गद्य के निर्माण में था..

जैनेंद्र कुमार का जन्म २ जनवरी सन १९०५, में अलीगढ़ के कौड़ियागंज गांव में हुआ ..उनके बचपन का नाम आनंदीलाल था..जनम के २ वर्षो में ही पिता की मृत्यु के बाद इनकी माता एवं मामा ने ही इनका पालन-पोषण किया..

मूल नाम    आनंदी लाल 

भाषा          हिंदी 

जन्म           २ जनवरी सन १९०५  अलीगढ 

विद्याए         उपन्यास , कहानी ,निबंध 

 उपन्यास      परख ,सुनीता, त्यागपत्र ,कल्याणी , सुखदा ....

कहानी          पाजेब , जैनेन्द्र की कहानियां ,फांसी, नीलम देश की राजकन्या ......

पुरस्कार       पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार.

 त्यागपत्र' उपन्यास

त्यागपत्र उपन्यास मनोवैज्ञानिक कथाकार जैनेंद्र कुमार द्वारा रचित प्रसिद्ध उपन्यास है.. यह उपन्यास 1937  में प्रकाशित हुआ। ...त्यागपत्र  उपन्यास इस की नायिका मृणाल की दर्द भरी जीवनी पर आधारित है जिसमें समाज की रूढ़ियाँ, कठोर नैतिक मान्यताएँ एवं अमानवीय सामाजिक व्यवस्था का चित्रण हुआ है...

 यह उपन्यास चीफ जस्टिस एम. दयाल द्वारा लिखी गई आत्मकथा के रूप में है..जिनका  चरित्र उपन्यास में प्रमोद के नाम से चित्रित हैतथा  पूरा उपन्यास आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया है..

इसमें मृणाल के माध्यम से स्त्रियों की  यातनापूर्ण स्थिति को पूर्ण मार्मिकता एवं यथार्थवादी दृष्टि के साथ प्रस्तुत किया गया है..



 प्रमोद अर्थात्  दयाल अपने बचपन से कहानी का आरंभ करते हैं..परिवार में उसके माता-पिता और तीन बहने थी  किन्तु अभी तीन बहनो में से केवल   मृणाल ही जीवित थी..मृणाल जिसको  प्रमोद की मां अपने कठोर शासन से आदर्श नारी बनाना चाहती है और उसकी  छोटी सी गलती के कारन उससे कठोर, अमानवीय व्यवहार करती है किन्तु मृणाल अपने अनुसार, अपनी भावनाओं के अनुसार अपना जीवन यापन करना चाहती है परंतु समाज उसे अपने नियमों में और बंधनों में जकड़े रखना चाहता है ..उसके प्रेम का तिरिस्कार उसी के भाई तथा भाभी द्वारा करके उसका विवाह अधेड़ उम्र के दोहाजु से कर दिया जाता है जिसे वो ख़ामोशी से स्वीकार कर लेती है ..किन्तु पति भी उसे दुश्चरित्रा समझ कर उस पर अत्याचार करता है और उसे त्याग देता है ..और वो व्यक्ति जो उसकी सुंदरता पर मोहित हो उसकी रक्षा करता है और परिवार को त्याग कर मृणाल के साथ रहने लगता है वो भी कुछ समय पश्चात मृणाल को  त्याग कर उसकी सारी संपत्ति लेकर कर चला जाता ह।..उस समय मृणाल गर्भवती होती है .. एक कन्या को जन्म देती है..जो कुछ समय बाद मर जाती है।। वो एक बहुत गन्दी बस्ती में रहने लगती है।।। और उनका भतीजा प्रमोद काबिल होते हुए भी चाहकर भी उसकी कोई सहयता नहीं कर पता है..


इस उपन्यास द्वारा लेखक ने भारतीय नारी की परवशता.. बेमेल  विवाह की पीड़ा,  सामाजिक प्रताड़ना,  आर्थिक पराधीनता से उत्पन्न नारी जीवन की विवशताओं को बड़े ही मार्मिक एवं यथार्थ ढंग से अभिव्यक्त किया है 





Wednesday 10 March 2021

 

देवी चौधरानी




🙏🙏🙏🙏🙏🙏बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के रचियता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे ... राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था

जन्म 27 June 1838 भाषा बांग्ला मृत्यु 8 April 1894 विधाये ------- कविता , उपन्यास, कहानियां , नाटक .. उपन्यास आनंदमठ, दुर्गेश नंदिनी, कपालकुंडला, मृणालिनी, चंद्रशेखर, देवी चौधरानी.....
बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म उत्तरी चौबीस परगना नैहाटी में एक परंपरागत और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था.. उनकी शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुईजो आज कोलकाता का बेहद मशहूर कॉलेज है .1857में उन्होंने बीए पास किया...प्रेसीडेंसी कालेज से बी. ए. की उपाधि लेनेवाले ये पहले भारतीय थे.. शिक्षासमाप्ति के तुरंत बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्ति हो गई.. कुछ काल तक बंगाल सरकार के सचिव पद पर भी रहे।..रायबहादुर और सी. आई. ई. की उपाधियाँ पाईं.. 
 उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी....
1865 में दुर्गेशनंदिनी ...1866 कपालकुंडला ..
1872 में मासिक पत्रिका बंग दर्शन का भी प्रकाशन किया 
1882 में आनंदमठ  राजनीतिक उपन्यास है... इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है.. इस पुस्तक में देशभक्ति की भावना है..
 चटर्जी का अंतिम उपन्यास सीताराम (1886) है.....


🙏🙏🙏🙏🙏🙏देवी चौधरानी देवी चौधरानी उपन्यास में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय भारतीय स्त्रियों की दुर्दशा को जीवंत रूप दिया है ..प्रफुल्ल उपन्यास की नायिका गरीब लड़की है जिसका विवाह एक सम्पान परिवार में होता है... परंतु गरीबी तथा झूठी अवहा के कारण उसे घर से निकाल दिया जाता है...यह उपन्यास नारी की गौरव गाथा है, जो ससुराल से निकाल दिए जाने पर भी आजीवन पतिपरायणा रही.इतना ही नहीं डाकुओं के चंगुल में पड़ कर वह डाकू भले ही बन गई हो, पर उस ने कभी डाका नहीं डाला, कभी किसी को सताया नहीं. कालांतर में अपार धनदौलत की मालकिन..हो कर भी उस ने सदैव गरीबों और निस्सहायों का उपकार किया...भले ही वह ससुराल में न रही पर वह पति प्रिया अवश्य थी ...