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Wednesday, 11 October 2017

जाने कब और कैसे मनाये छठ पूजा 2017


 छठ पूजा 


                              

भारत में गणेश पूजा के बाद से जो पर्वों का सिलसिला शुरू होता है छठ पूजा तक चलता है हिंदुओं के सबसे बड़ा पर्व दीपावली है जो छठ पूजा यानी की पांच दिनों तक चलता है उत्तर प्रदेश तथा बिहार में मनाया जाने वाला ये पर्व केवल एक पर्व ही नहीं बल्कि एक महा पर्व है जो की चार दिनों तक चलता है और बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है । छठ पर्व  कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है यह त्यौहार ऊर्जा के देवता यानि की सूर्य देवता की उपसना के लिए मनाया जाता है ।

           मूलत: कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी होने के कारण इसे छठ कहा गया है ।यह वर्ष में दो बार मनाया जाता है एक चैत्र तथा दूसरा कार्तिक महीने में । इस व्रत को स्त्री या पुरुष समान रूप से मानते है ।छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिला ।

लोग इस पर्व को सूर्य देवता की आराधना तथा पृत्वी में जीवन देने के लिए उनका धन्यवाद देते हुए इस पर्व को बड़ी ही तपस्या पूर्वक उनकी पूजा करते है ।चतुर्थी  से लेकर सप्तमी तक चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में व्रत धारी ३६ घंटे तक का व्रत करते है इस दौरान वे पानी तक भी ग्रहण नहीं करते  तो चलिए जानते है कैसे मानते है छठ पर्व :-

१. पहला दिन - नाहय खाय  
     सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है फिर छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। भोजन में सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी और चने की दाल  प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है



२. दूसरा दिन  - खरना 
दूसरे दिन व्रतधारी दिनभर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं इस भोजन को खरना का प्रसाद कहा जाता है जिसमे गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा तथा रोटी बनाई जाती है किन्तु इस में नमक और चीनी का प्रयोग वर्जित है इस प्रसाद को खाने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है  इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

३. तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य
पंचमी की सारा रात जागकर बड़ी ही स्वछता के साथ सष्ठी यानी की छठी मैया को अर्पण करने के लिए प्रसाद बनाया जाता है प्रसाद के रूप में ठेकुआ , चावल के लाडू , फल , फूल आदि चढ़ाया  जाता है शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रति के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है .


४. चौथा दिन - उषा अर्घ्य

 यह अर्घ्य सूर्य देवता को उनकी पहली किरण के साथ दिया जाता है सभी वहीं पुनः इकट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने पूर्व संध्या को अर्घ्य दिया था। ये संध्या  अर्घ्य की पुर्नावृति होती है । पूजा के पश्चात् व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं जिसे पारण या परना कहते हैं।

छठ व्रत के नियम 

छठ व्रत एक कठिन तपस्या की  है।  चार दिनों के इस व्रत में व्रति को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही  शैय्या का भी त्याग करना होता है। पर्व के लिए बनाये गये कमरे में व्रति फर्श पर एक कम्बल या चादर पैर ही रात बिताते  हैं। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते हैं। जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की गयी होती है व्रति को ऐसे कपड़े पहनना अनिवार्य होता है  छठ पर्व को शुरू करने के बाद सालों साल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला इसके लिए तैयार न हो जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।

  2017 में छठ पूजा की तारीख
. मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017 नहाय खाय
. बुद्धवार, 25 अक्टूबर 2017 खरना
. गुरुवार, 26 अक्टूबर , 2017 संध्या अर्घ्य का दिन
. शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017 सूर्योदय अर्घ्य और पारण 

सभी पाठको को छठ पूजा की हार्दिक शुभ कामनायें 








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