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Wednesday, 6 December 2017

ISC HINDI संस्कृति क्या है ?, भक्तिन



                                       संस्कृति क्या है ?

https://imojo.in/f5c2kq   इस ebook के माध्यम से आपको सारा आकाश उपन्यास का सारांश , उद्देश्य ,पात्र चरित्र चित्रण और परीक्षा से सम्बंधित प्रश्न उत्तर ,लेखक का परिचय सभी का संक्षिप्त विवरण प्राप्त होगा 
लेखक परिचय - रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के प्रमुख  लेखक कवि व निबंधकार थे । इनकी कविताओं तथा कहानियों में वीररस की प्रधानता है तो दूसरी और शृंगारिक भावनाओं की अभिवयक्ति भी है । इनकी कृतियां 'कुरुक्षेत्र ' और उर्वशी है । उर्वशी को ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिला है ।इन्हे पद्म विभूषण की उपाधि से अलंकृत किया गया है ।

प्रश्न - 'संस्कृति क्या है ?' निबंध में निबंधकार का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर - साहित्य जीवन के यथार्थ तथा आदर्श दोनों को प्रस्तुत करता है इस निबंध में भी दिनकर जी ने सभ्यता और संस्कृति के अंतर को स्पष्ट कर पाठकों के समक्ष रखने का प्रयास किया है वे कहते है जिस प्रकार सभ्यता की पहचान रहन सहन के ढंग से होती है उसी प्रकार संस्कृति की पहचान विचारों से होती है जंहा सभ्यता का सम्बन्ध शरीर से है वहीं संस्कृति का सबंध आत्मा से है 
 सभ्यता और संस्कृति को परिभाषित नहीं किया जा सकता क्योंकि सभ्यता हमारें पास है और संस्कृति हममें विधमान है ! जब हम कोई घर का निर्माण करते है घर का स्थूल रूप सभ्यता की  तथा घर का नक्शा ,सजना पसंद नापसंद संस्कृति की झलक होती है ! जो मनुष्य अपने दुर्गुणों पैर जितना विजई होता है उसकी संस्कृति उतनी ही ऊँची मानी जाती है  !
                    लेखक कहते है की संस्कृति जीवन जीने का एक तरीका है जो एक दिन में नहीं बनता न ही बदला जा सकता है इसको बनने में तो सदियां लग जाती और सदियों से एकत्र होकर ये समाज पर छा जाता है यह भी दृष्टिगोचर हुआ है की हमेशा ही एक संस्कृति दूसरी संस्कृति को प्रभवित करती है सांस्कृतिक दृष्टि से वो ही देश शक्ति शाली होगा जिसके अंदर अनेक संस्कृतियों का समन्वय हो इसलिए तो हमारा भारत सदेश महान क्योंकि यह कई संस्कृतिओं के समन्वय का प्रतिक है !

प्रश्न - 'संस्कृति क्या है ' ? निबंध के शीर्षक के औचित्य पर प्रकाश डालिये ?
उत्तर - प्रस्तुत निबंध 'संस्कृति क्या है' है में दिनकर जी ने संस्कृति और सभ्यता के अंतर को अपने विचारों की श्रृंखला से बड़े ही सुन्दर ढंग से  पिरोया है !
         दिनकर जी के अनुसार घर , गाड़ी ,पोषक और अच्छा भोजन आदि स्थूल वस्तुऐं सभ्यता की घोतक  है तो खाने , रहन सहन का ढंग संस्कृति की घोतक है इस प्रकार संस्कृति और सभ्यता दोनों अलग अलग  है इसलिए हेर सभ्य मनुष्य सुसंस्कृतिक नहीं कहा जा सकता! क्रोध , लोभ ,मोह ,द्वेष आदि प्राकृतिक प्रदत गुण है जो जो मनुष्य अपने ऊपर जितना नियंत्रण रख पाता है वह उतना ही सुसंस्कृतिक कहलाता है
इस प्रकार अंत में यही कहेंगे की इस निबंध का शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है क्योंकि दिनकर जी ने इसमें संस्कृति के हर पहलुओं का दृष्टिपात किया है !

प्रश्न - "संस्कृति का स्वभाव है की वह आदान प्रदान से बढ़ती है " इस कथन के आलोक में आदान -प्रदान से                  संस्कृति पर पढने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिये ?
उत्तर - जिस प्रकार दो व्यक्तियों की संगति का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है ठीक उसी प्रकार दो देशो के एक दूसरे के संपर्क में आते ही दोनों की संस्कृतियोँ का प्रभाव एक दूसरे पर पढ़ता है  क्योंकि संस्कृति आदान प्रदान से बढ़ती है । दो देश यानी की दो जाति उनके संपर्क या संघर्ष से एक नई धारा निकलती है एक देश के महात्मा या महापुरुष की आवाज़ दूसरे देश के दार्शिनकों से बहुत कुछ अलग नहीं होती  ।
सांस्कृतिक दृष्टि से वह देश विशेष है जिसने विश्व के अधिक से अधिक देशों और जातियों की संस्कृतिओं को आत्मसत किया है । जिसका सबसे बड़ा उदाहरण अपना महँ भारत देश है क्योंकि 'वसुधेव कुटुंबकम' की उपाधि से सम्मानित भारत अनेक संस्कृतियों का समन्वय है  ।

प्रश्न - " जो जाति केवल देना ही जानती हो , लेना कुछ भी नहीं , उसकी संस्कृति का एक न एक दिन दिवाला निकल जाता है "!
१. किसका दिवाला कब निकल जाता है ?
२. संस्कृति को क्या भाव ले डूबता है ?
३. आदान प्रदान की प्रतिक्रिया क्या है ?
४. कौन सी जाति अधिक महान समझी जाती है ?
उत्तर - १. जो जाति केवल देना ही जानती हो , लेना कुछ भी नहीं , उसकी संस्कृति का एक न एक दिन दिवाला निकल जाता है अतार्थ एक दिन वह जाति समाप्त हो जाती है !
२. हम जो है वही सब कुछ है इसके आलवा दुनिया में कुछ भी नहीं है ऐसा सोचना और इस प्रकार की कूपमंडूकता उस देश की संस्कृति को ले डूबती है !

३.इस देश मे इसा मसीह के विचारों का स्वागत हुआ तो महात्मा बुद्ध के विचारों का स्वागत दूसरे देशों ने किया इसी प्रकार बहार के देशों के कवियों , लेखकों की रचनाओं का प्रभाव हमारें देश पर पढ़ा ठीक उसी प्रकार यहाँ के  कवियों , लेखकों की रचनाओं का प्रभाव दूसरे देशों पर पढ़ा जिस के मिलने से एक नई धारा उत्त्पन हुई जिसका प्रभाव दोनों देशों की संस्कृति पर पढ़ा इसी के सहारे संस्कृति अपने को ज़िंदा रखती है ।

                                                                 भक्तिन



प्रश्न - भक्तिन कहानी के आधार पर कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिये ?
उत्तर - प्रस्तुत कहानी द्वारा लेखिका ने ग्रामीण महिलाओं के जीवन के उतार चढ़ाव के वर्णन बड़े ही सुन्दर ढंग से किया है इस कहानी की नायिका भी एक ग्रामीण महिला जिसकी
शादी व् गौना केवल नौ वर्ष की आयु में ही हो जाता है इतनी कम आयु होते हुए भी वह अपनी जिम्मेदारियों , आभावों से झुझते हुए परिस्थितयों को अनुकूल बनाने की पर्नापन कोशिश करती है ! इस कहानी में लेखिका ने बाल विवाह ,बेटियों के प्रति अवहेलना और पंचयात का  अन्यायपूर्ण दोहरा रवैया जैसी कई सामाजिक कुरीतियों को उद्घाटित किया है !
इस कहानी द्वारा लेखिका ने स्त्री पुरुष में किये जाने वाले भेदभाव को पाठकों के समक्ष रखा है तथा स्त्रियों की मुक्ति विकास के लिए दृढ़ता से आवाज भी उठाई है !

प्रश्न - भक्तिन का चरित्र चित्रण कीजिये?
उत्तर - प्रस्तुत कहानी महादेवी  वर्मा द्वारा रचित कहानी भक्तिन की प्रमुख पात्र भक्तिन उर्फ़ लछमिन है जिसकी जीवन यात्रा के माध्यम से लेखिका ने समाजिक कुरीतियों और विसंगतियों को पाठकों के समक्ष रखा है सम्पूर्ण कहानी भक्तिन के आस पास घूमती  है चरित्रिक  विषतायें निम्नलिखित है :-
१.  भक्तिन को अपने पिता से अगाध प्रेम है विमाता द्वारा पिता के मरने का देर से समाचार भेजने तथा अपनी सास का यह समाचार देर से देने के कारन जब वह अपने पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाती है तो वह इसकी सम्पूर्ण उत्तरदायी अपनी सास को तथा अपने पति  को बहुत खरी खोटी  सुनाती है तथा अपने गहने भी फ़ेंक देती है !
 2.  भक्तिन अपने पति  की बहुत प्रिय  है क्योंकि  जहां एक और पुत्रवती होते हुए भी उसकी जेठानियाँ अपने पति से मार खाती थी वंही दूसरी और दो पुत्रियों की माँ होते हुए भी भक्तिन का पति उसे कभी टेढ़ी  निगाह  से भी नहीं देखता था !

 3.  भक्तिन बहुत ही कर्मठ तथा साहसी स्त्री है वह अपने पति और दामाद की मृत्यु के बाद अपनी बेटी के साथ मिलकर न सिर्फ अपनी जायदाद की देखभाल करती है अपितु अपनी बाकि बेटियों का विवाह भी करती है !

 4.   भक्तिन बहुत ही आत्माभिमानी और आत्मविश्वासी स्त्री भी है क्योंकि जब उसके दामाद के लगान न भरने के कारण उसे धुप में खड़ा रहना पड़ा तो वह उसके बाद गांव में न रही बल्कि शहर में आकर लेखिका के पास आकर काम करने लगी साथ ही साथ वह खुद दूसरों के अनुसार नहीं बदलती बल्कि उन्हें अपने अनुसार बदलने की प्राणपण चेष्टा करती है !

प्रश्न - 'भक्तिन ' कहानी की भाषागत विषतायें लिखिए ?
उत्तर - कहानी में कहानीकार को भाषा के प्रयोग में देश , काल ,वातावरण ,पात्रों के चरित्र की अनुकूलता का ध्यान रखना परम आवश्यक है ! कहानी में सरलता ,बोधगम्यता , प्रवाहमयता तथा कहीं कहीं काव्य का प्रयोग भाषा को और प्रभावशाली बना देता है और इस दृष्टि से प्रस्तुत कहानी भक्तिन एक समृद्ध कहानी है जिसमे शब्दों का प्रयोग सटीक एवं भावों के अनुकूल है !जैसे की भक्तिन देहाती है और जब वह उत्तर देती है महादेवी वर्मा जी उसी की भाषा का प्रयोग अपनी कहानी में करती है
"ई कओन बड़ी बात आय रोटी बनाय जानित  है दाल रांध लयित है साग भाजी छौक सकित है अऊर बाकी का रहा "
इस प्रकार से यह स्पष्ट है की कहानी में महादेवी वर्मा का भाषा का प्रयोग अनूठा है !वे जहाँ एक और हिंदी खड़ी बोली का उपयोग करती है तो दूसरी और देहाती भाषा का प्रयोग भी कुशलता पूर्वक करती है अतः भाषिक दृष्टि से यह एक सफल कहानी है !

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