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Wednesday 10 March 2021

 

देवी चौधरानी




🙏🙏🙏🙏🙏🙏बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के रचियता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे ... राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था

जन्म 27 June 1838 भाषा बांग्ला मृत्यु 8 April 1894 विधाये ------- कविता , उपन्यास, कहानियां , नाटक .. उपन्यास आनंदमठ, दुर्गेश नंदिनी, कपालकुंडला, मृणालिनी, चंद्रशेखर, देवी चौधरानी.....
बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म उत्तरी चौबीस परगना नैहाटी में एक परंपरागत और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था.. उनकी शिक्षा हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुईजो आज कोलकाता का बेहद मशहूर कॉलेज है .1857में उन्होंने बीए पास किया...प्रेसीडेंसी कालेज से बी. ए. की उपाधि लेनेवाले ये पहले भारतीय थे.. शिक्षासमाप्ति के तुरंत बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्ति हो गई.. कुछ काल तक बंगाल सरकार के सचिव पद पर भी रहे।..रायबहादुर और सी. आई. ई. की उपाधियाँ पाईं.. 
 उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी....
1865 में दुर्गेशनंदिनी ...1866 कपालकुंडला ..
1872 में मासिक पत्रिका बंग दर्शन का भी प्रकाशन किया 
1882 में आनंदमठ  राजनीतिक उपन्यास है... इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है.. इस पुस्तक में देशभक्ति की भावना है..
 चटर्जी का अंतिम उपन्यास सीताराम (1886) है.....


🙏🙏🙏🙏🙏🙏देवी चौधरानी देवी चौधरानी उपन्यास में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय भारतीय स्त्रियों की दुर्दशा को जीवंत रूप दिया है ..प्रफुल्ल उपन्यास की नायिका गरीब लड़की है जिसका विवाह एक सम्पान परिवार में होता है... परंतु गरीबी तथा झूठी अवहा के कारण उसे घर से निकाल दिया जाता है...यह उपन्यास नारी की गौरव गाथा है, जो ससुराल से निकाल दिए जाने पर भी आजीवन पतिपरायणा रही.इतना ही नहीं डाकुओं के चंगुल में पड़ कर वह डाकू भले ही बन गई हो, पर उस ने कभी डाका नहीं डाला, कभी किसी को सताया नहीं. कालांतर में अपार धनदौलत की मालकिन..हो कर भी उस ने सदैव गरीबों और निस्सहायों का उपकार किया...भले ही वह ससुराल में न रही पर वह पति प्रिया अवश्य थी ...

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