A

Sunday 14 March 2021

 जैनेन्द्र कुमार

 जैनेन्द्र कुमार का नाम  हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक के रूप में मान्य हैं.. इनकी मुख्य देन उपन्यास तथा कहानी है..एक साहित्य विचारक के रूप में भी इनका स्थान मान्य है ..उनके पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ इसी कारण से संयुक्त होकर उभरती हैं.क्योंकि पात्रों के सूक्ष्म संकेतोंऔर चरित्र की निहिति की खोज करके उन्हें बड़े कौशल से प्रस्तुत करते हैं..जैनेन्द्र का सबसे बड़ा योगदान हिन्दी गद्य के निर्माण में था..

जैनेंद्र कुमार का जन्म २ जनवरी सन १९०५, में अलीगढ़ के कौड़ियागंज गांव में हुआ ..उनके बचपन का नाम आनंदीलाल था..जनम के २ वर्षो में ही पिता की मृत्यु के बाद इनकी माता एवं मामा ने ही इनका पालन-पोषण किया..

मूल नाम    आनंदी लाल 

भाषा          हिंदी 

जन्म           २ जनवरी सन १९०५  अलीगढ 

विद्याए         उपन्यास , कहानी ,निबंध 

 उपन्यास      परख ,सुनीता, त्यागपत्र ,कल्याणी , सुखदा ....

कहानी          पाजेब , जैनेन्द्र की कहानियां ,फांसी, नीलम देश की राजकन्या ......

पुरस्कार       पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार.

 त्यागपत्र' उपन्यास

त्यागपत्र उपन्यास मनोवैज्ञानिक कथाकार जैनेंद्र कुमार द्वारा रचित प्रसिद्ध उपन्यास है.. यह उपन्यास 1937  में प्रकाशित हुआ। ...त्यागपत्र  उपन्यास इस की नायिका मृणाल की दर्द भरी जीवनी पर आधारित है जिसमें समाज की रूढ़ियाँ, कठोर नैतिक मान्यताएँ एवं अमानवीय सामाजिक व्यवस्था का चित्रण हुआ है...

 यह उपन्यास चीफ जस्टिस एम. दयाल द्वारा लिखी गई आत्मकथा के रूप में है..जिनका  चरित्र उपन्यास में प्रमोद के नाम से चित्रित हैतथा  पूरा उपन्यास आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया है..

इसमें मृणाल के माध्यम से स्त्रियों की  यातनापूर्ण स्थिति को पूर्ण मार्मिकता एवं यथार्थवादी दृष्टि के साथ प्रस्तुत किया गया है..



 प्रमोद अर्थात्  दयाल अपने बचपन से कहानी का आरंभ करते हैं..परिवार में उसके माता-पिता और तीन बहने थी  किन्तु अभी तीन बहनो में से केवल   मृणाल ही जीवित थी..मृणाल जिसको  प्रमोद की मां अपने कठोर शासन से आदर्श नारी बनाना चाहती है और उसकी  छोटी सी गलती के कारन उससे कठोर, अमानवीय व्यवहार करती है किन्तु मृणाल अपने अनुसार, अपनी भावनाओं के अनुसार अपना जीवन यापन करना चाहती है परंतु समाज उसे अपने नियमों में और बंधनों में जकड़े रखना चाहता है ..उसके प्रेम का तिरिस्कार उसी के भाई तथा भाभी द्वारा करके उसका विवाह अधेड़ उम्र के दोहाजु से कर दिया जाता है जिसे वो ख़ामोशी से स्वीकार कर लेती है ..किन्तु पति भी उसे दुश्चरित्रा समझ कर उस पर अत्याचार करता है और उसे त्याग देता है ..और वो व्यक्ति जो उसकी सुंदरता पर मोहित हो उसकी रक्षा करता है और परिवार को त्याग कर मृणाल के साथ रहने लगता है वो भी कुछ समय पश्चात मृणाल को  त्याग कर उसकी सारी संपत्ति लेकर कर चला जाता ह।..उस समय मृणाल गर्भवती होती है .. एक कन्या को जन्म देती है..जो कुछ समय बाद मर जाती है।। वो एक बहुत गन्दी बस्ती में रहने लगती है।।। और उनका भतीजा प्रमोद काबिल होते हुए भी चाहकर भी उसकी कोई सहयता नहीं कर पता है..


इस उपन्यास द्वारा लेखक ने भारतीय नारी की परवशता.. बेमेल  विवाह की पीड़ा,  सामाजिक प्रताड़ना,  आर्थिक पराधीनता से उत्पन्न नारी जीवन की विवशताओं को बड़े ही मार्मिक एवं यथार्थ ढंग से अभिव्यक्त किया है 





No comments:

Post a Comment