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Friday, 8 September 2017

ADARSH HINDU HOTEL -आदर्श हिन्दू होटल



               आदर्श हिन्दू होटल - ADARSH HINDU HOTEL 


लेखक परिचय - सदा अच्छे विचार के आदर्श वाले विभूतिभूषण बंदोपाध्याय की रुचियाँ सहज और अध्यन विस्तृत था ।देहात के प्रति लगाव तथा पिता से विरासत में मिला घुमक्कड़ी स्वभाव उन्हें दुर्गम स्थानों के गहरे भीतरी भागों तक ले गया जो उनकी रचनाओं में
स्पष्ट दिखाई पड़ता है ।उन्होंने १९२२ से १९५० के बीच में ७० से अधिक पुस्तकें लिखीं । जिसमे सबसे महत्वपूर्ण कीर्ति है पाथेर पांचाली


आदर्श हिन्दू होटल  विभूतिभूषण बंदोपाध्याय के अन्य उपन्यासों से कुछ हट के है सम्भवत यह उनके व्यग्तिगत विचारों से प्रेरित है हजारी ठाकुर नाम के पात्र को लेखक ने यथार्थ रूप में देखा है अपनी डायरी उरमिमुखार में इस भेट का विवरण दिया है की उस सरल आत्मा परांठा के कलाकार जिसको अपनी पाकविद्या पैर गर्व था उससे जो बातचीत हुई उसे उन्होंने अश्रश ही उपन्यास में उतार दिया और यह भी बता दिया की इस तरह के उपन्यास केवल वो ही लेखक लिख सकता है जो जनसाधारण तथा होटल के जीवन से अति परिचित

हजारी, एक मध्यम आयु और निम्न वर्गीय बंगाली ब्राह्मण है जो की इस उपन्यास के नायक है वे रानाघाट के बेसु चक्रवर्ती के होटल जिसका नाम आदर्श हिन्दू होटल है में खाना बनाने वाले ब्राह्मण के रूप में काम करते है होटल में एक महरी भी काम करती है जिसका नाम पद्दो है कहने को तो वह नौकरानी है पैर उसकी बात कोई काट नहीं सकता है 
https://www.youtube.com/playlist?list=PLUoIVgnBiV-NAWZ8BRnMBv576PYZer4Kd
playlist for all the parts of aadrsh hindu hotel 

होटल में प्र्या ही ग्राहकों को धोखा दिया जाता है कभी दाल में पानी मिलकर या च्वालों का माड़ मिलकर

परोसा जाता है पद्दो होटल से खाना चुराकर भी बाहर बेचती है हजारी इन सब के खिलाफ है पैर मामूली सा रसोईआं होने के कारन वह कुछ भी नहीं बोल पाता पद्दो हजारी को निचा दिखने कोई अवसर नहीं छोड़ती यहाँ तक की उसके बनाये खाने में भी मीनमेख निकलती रहती है





                                     




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