बड़े घर की बेटी
लेखक का परिचय - प्रेमचंद को हिंदी कथा जगत का सम्राट माना जाता है । उन्होंने अपनी समाज सापेक्ष कहानियों द्वारा पाठक समाज को नवनिर्माण तथा सकरात्मक दृष्टि की और प्रेरित किया है । उनका विचार था भारत वर्ष की विशाल जनसँख्या गॉंवो में रहती है अतः उनके दुखों को समझना अनिवार्य है । प्रेमचंद की पहली रचना पांच परमेश्वर के नाम से सरस्वती पत्रिका में प्रकशित हुई । उन्होंने लगभग ३०० कहानियाँ लिखी जो मानसरोवर के आठ भागों में संग्रहित है । इसके अतिरिक्त उन्होंने उपन्यास लेखन में भी उत्कृष्ट योगदान दिया है
कहानी का उद्देश्य - इस कहानी के माध्यम से लेखक प्रेमचंद ने यह सपष्ट किया है की पारिवारिक स्नेह एवं सामंजस्य को बनाये रखने में घर की वधुओं की अहम्
भूमिका होती है । बड़े घर की बेटियां अपने सदविवेक से बिगड़ती हुई बात को संभाल लेती है जिससे की एक परिवार टूटने से बच जाता है ।
भूमिका होती है । बड़े घर की बेटियां अपने सदविवेक से बिगड़ती हुई बात को संभाल लेती है जिससे की एक परिवार टूटने से बच जाता है ।
प्रश्न - बड़े घर की बेटी कहानी के मुख्य पात्रों का चरित्र चित्रण कीजिये ?
उत्तर - कहानी के मुख्य पात्र है आनंदी , श्री कंठ सिंह , लाल बिहारी सिंह , तथा बेनीमाधव सिंह इनकी चारित्रिक विशेषतयाएँ निम्न लिखित है :-आनंदी - आनंदी बहुत ही समझदार लड़की थी वह एक उच्च कुल की लड़की थी । उसके पिता एक छोटी सी रियासत के ताल्लुकेदार तथा ऑनररी मेजिस्ट्रेट थे । वह अपनी अन्य बहनो से अधिक रूपवती तथा गुणवती थी । इसलिए उसके पिता उसे बहुत प्यार करते थे । वह इतने अमीर घर से आके भी उसने अपने ससुराल जो की देहात का बहुत ही साधारण घर था अपने आप को बहुत ही जल्दी उस के अनुकूल बना लिया ।
स्त्रियाँ गलियां सह लेती है मार भी सह लेती है पर मैके की निंदा नहीं सह पाती और आनंदी भी इसका अपवाद नहीं थी इसलिए लाल बिहारी की धृष्टता वो सहन नहीं कर पायी और उसने उसको बुरा भला कह दिया ।
आनंदी बहुत ही स्वाभिमानी स्त्री थी इसलिए लाल बिहारी से झगड़ा करके वो दो दिन तक बिना खाये पिए कोप भवन में बैठी रही ।
आनंदी स्वाभाव से बहुत ही दयावती और समझदार थी इसलिए लाल बिहारी के माफ़ी मांगने पर उसने तुरंत ही उसे माफ़ भी कर दिया बल्कि अपने संयुक्त परिवार को टूटने से भी बचा लिया ।
श्री कंठ सिंह - श्री कंठ सिंह गौरीपुर गांव के जमींदार बेनी माधव सिंह के बड़े बेटे थे उनका शरीर दुर्बल तथा
उनका चेहरा कांतिहीन था । वह B.A पढ़े लिखे होने के बावजूद भी पाश्चत्य प्रथाओं के प्रेमी न थे बल्कि भारत की प्राचीन सभ्यता तथा सम्मिलित कुटुंब के पक्षधर थे ।वह बहुत ही सीधे साधे और संस्कारी थे उन्हें जल्दी क्रोध भी न आता था किन्तु स्त्रियों के प्रति अन्नाय उन्हें सहन नहीं था इसलिए अपनी पत्नी के प्रति किये अपने छोटे भाई के वयवहार को वो सहन नहीं कर पाए किन्तु वह स्वाभाव से बहुत ही दयावान थे इसलिए अपने भाई के क्षमा मांगने पर उन्होंने उसे गले लगा लिया ।
उत्तर - आनंदी चोट खाकर इतनी गुस्से में थी जैसे ही उसके पति कमरे में आये उसने कहा की यह तो मेरी किस्मत का फेर है नहीं तो गांव का एक गंवार छोकरा मुझे खड़ाऊँ से मारता उसने कहा की परसों तुम्हारे भाई ने मांस पकाने को कहा हांड़ी में सिर्फ पाव भर घी था इसलिए मैंने सारा घी मांस में डाल दिया जब वो खाने बैठा तो दाल में घी नहीं था इस पर वह मेरे मइके को बुरा भला कहने लगा तो मैंने भी कह दिया की इतना घी तो वंहा नाइ कहर खाते है बस फिर गंवार ने मुझे खड़ाऊँ फ़ेंक मारी हाथ से न रोकी होती तो मेरा सर फट जाता । इसका परिणाम यह हुआ की श्री कंठ गुस्से से लाल पीले हो गए और अपने पिता के पास जाकर बोले की अब इस घर में मेरा निर्वाह न होगा ।
प्रश्न - लालबिहारी की किन बातों से पता चलता है की वह बड़े भाई की बहुत इज़्ज़त करते है ?
उत्तर - लालबिहारी तथा आनंदी के झगड़े को सुनने के बाद श्री कंठ ने अपने पिता से कहा की वह ऐसे घर में नहीं रहेगा जिस घर में छोटे बड़ों की इज़्ज़त न करते हो इसलिए वो अब लालबिहारी का मुंह नहीं देखना चाहता है यह सुनकर लाल बिहारी की आँखों में पानी आ गया जिस भाई ने आज तक उससे इतना स्नेह किया आज उसके पशुवत व्यवहार के कारण वह उसका चेहरा नहीं देखना चाहता है तो वह अब इस घर में नहीं रहेगा तथा अपना चेहरा फिर कभी अपने भाई को नहीं दिखयेगा इस से पता चलता है की लालबिहारी अपने भाई की बहुत इज़्ज़त करता है ।
महायज्ञ का पुरस्कार
'महायज्ञ का पुरस्कार
लेखक परिचय - यशपाल जी हिंदी साहित्य के एक क्रांतिकारी लेखक है इनकी भाषा अत्यंत ही व्यवाहरिक तथा सहज और साधारण बोलचाल की भाषा है ! इनकी रचनाओं में मानवीय संवेदनाओं , जीवन - मूल्यों तथा देशप्रेम का स्वर है !
पिंजरे की उड़ान , अभिशप्त , वो दुनिया , ज्ञानदान , फूलों का कुरता आदि इनके प्रमुख कहानी संग्रह है तथा प्रमुख उपन्यास झूठ सच , दिव्या , दादा कॉमरेड , आदि है !
प्रश्न - 'महायज्ञ का पुरस्कार ' कहानी से आपको क्या सन्देश मिलता है ?
और
'महायज्ञ का पुरस्कार ' कहानी का सार या उद्देश्य क्या है ?
उत्तर - इस कहानी से निस्वार्थ भाव से सेवा करने की प्रेरणा मिलती है जिस प्रकार बिना किसी स्वार्थ भाव के सेठ केवल उस खुधातुर कुत्ते की भूख मिटने के लिए एक - एक करके अपनी चारों रोटियाँ खिला देता है और खुद पानी पीकर अपनी भूख शांत करता है उसी प्रकार हमें भी बिना किसी स्वार्थ से संसार में प्राणिमात्र की सेवा करनी चाहिए उसका फल भगवान अवश्य देते है !
प्रश्न - सेठ की परेशानी का क्या कारण था और उसे दूर करने के लिए उन्होंने क्या उपाय किया ?
उत्तर - सेठ जी अत्यंत ही उदार प्रवृति के दानशील व्यक्ति थे उनके दर से कभी कोई गरीब खली हाथ नहीं लौटा था किन्तु अचानक समय ने करवट ली और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा समय के साथ सभी सगे सम्बन्धियों ने मुँह मोड़ लिया जब उन्हें पैसों की अत्यंत आवश्यकता पड़ी तो और बेचने को कुछ भी न बचा तो उन्होंने अपना एक यज्ञ कुंदनपुर के धन्ना सेठ को बेचने की सोची क्योंकि उस समय यज्ञ की खरीद बेच होती थी !
और
'महायज्ञ का पुरस्कार ' कहानी का सार या उद्देश्य क्या है ?
उत्तर - इस कहानी से निस्वार्थ भाव से सेवा करने की प्रेरणा मिलती है जिस प्रकार बिना किसी स्वार्थ भाव के सेठ केवल उस खुधातुर कुत्ते की भूख मिटने के लिए एक - एक करके अपनी चारों रोटियाँ खिला देता है और खुद पानी पीकर अपनी भूख शांत करता है उसी प्रकार हमें भी बिना किसी स्वार्थ से संसार में प्राणिमात्र की सेवा करनी चाहिए उसका फल भगवान अवश्य देते है !
प्रश्न - सेठ की परेशानी का क्या कारण था और उसे दूर करने के लिए उन्होंने क्या उपाय किया ?
उत्तर - सेठ जी अत्यंत ही उदार प्रवृति के दानशील व्यक्ति थे उनके दर से कभी कोई गरीब खली हाथ नहीं लौटा था किन्तु अचानक समय ने करवट ली और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा समय के साथ सभी सगे सम्बन्धियों ने मुँह मोड़ लिया जब उन्हें पैसों की अत्यंत आवश्यकता पड़ी तो और बेचने को कुछ भी न बचा तो उन्होंने अपना एक यज्ञ कुंदनपुर के धन्ना सेठ को बेचने की सोची क्योंकि उस समय यज्ञ की खरीद बेच होती थी !
Please name the main characters of this story with their information
ReplyDeleteanandi, shri khant singh, lal bihari singh
ReplyDeleteanandi:
ReplyDeleteमुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ' बड़े घर की बेटी 'प्रसिद्ध कहानी है,जिसमे प्रेमचंद जी द्वारा संयुक्त परिवार में होने वाली समस्याएँ , कलहों , बात का बतंगड़ और आपसी समझदारी से समस्याँओ का निपटारा करने का हुनर दर्शाया गया है | इसमें प्रेमचंद जी ने पारिवारिक मनोवैज्ञानिक को बड़े ही सरलता से दर्शाया है | कहानी में बेनीमाधव सिंह गौरीपुर के जमींदार है ,उनके बड़े पुत्र श्रीकंठ की पत्नी 'आनंदी ' है |आनंदी कहानी का मुख्य पात्र है ,जो रूपवती ,गुणवती , उच्च और समृद्ध घर की बेटी है | उनका विवाह सामान्य परिवार में श्रीकंठ से हो जाता है,अपनी सूझ-बुझ से सारे सुखों भूलकर परिवार में सामंजस्य बिठा लेती है |
आनंदी में , आत्मसम्मान और स्वाभिमान की भावना है वह अपने मायके की निंदा सहन नहीं कर सकती है ,यही कारण है कि उनका झगड़ा देवर से हो जाता है| एक जिम्मेदार बहु की तरह 'आनंदी ' भी घर को संभालती है ,तभी तो देवर से झगड़ा होने के बाद भी ससुरार को नहीं छोड़ती है | 'आनंदी ' उदार और बड़े दिल वाली महिला है | उन्होंने अपनी देवर की शिकायत पति से कर तो देती है लेकिन बाद में पछतावा होता है | बाद में देवर से भी क्षमा मांग कर उसे घर छोड़ने से रोक लेती है | घर का वातावरण सौहार्दपूर्ण बनाती है |
shri khnat singh:
वह एक बहुत मेहनती पुरुष थे वह सम्मिलित कुटुंब के एकमात्र उपासक थे आजकल स्त्रियों को कुटुंब में मिलजुल कर रहने कि जो रुचि होती है उसे वह जाति और देश दोनों के लिए हानिकारक समझते थे यही कारण था कि गांव की बहुत सी स्त्रियां उनकी निंदक थी कोई-कोई तो उन्हें अपना शत्रु समझने में भी संकोच ना करती थी.
lal bihari:
लाल बिहारी एक देहाती और अनपढ़ लड़का था। लाल बिहारी दोहरे बदल के कटीले नौजवान थे। लाल बिहारी ठाकुर बेनी माधव सिंह का छोटा बेटा था जिसकी अपनी भाभी से बनती नहीं थी। लाल बिहारी ने अपने बड़े भाई से भाभी के बारे में शिकायत की क्योंकि दाल में घी कम पड़ने से उनकी भाभी का उनसे झगड़ा हो गया। लाल बिहारी एक स्वाभिमानी व्यक्ति था और इसलिए वह औरत के सामने खुद को छोटा नहीं होने देना चाहता था।
hope it helps you!
yeah! it helped a lot... Thank you so much!
Deleteyeah! it helped a lot... Thank you so much!
ReplyDeletebro plase give charitra chitran of benimadhav singh also
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